आध्यात्मिक विचार शैली

रविवार, 6 जुलाई 2025

👉बंधन की गंध👈

बंधन की गंध
👉आप अपने शरीर, मन या ऊर्जा के साथ जो कुछ भी करते हैं, वह आप पर एक
खास छाप छोड़ता है।

👉 ये छाप समय के साथ आपकी प्रवृतियाँ बन जाती हैं।
 इन
प्रवृत्तियों को पारंपरिक तौर पर भारत में एक बहुत ही उपयुक्त शब्द दिया गया है :
वासना। 

👉असल में वासना का अर्थ होता है गंध। यह गंध आपके शारीरिक, मानसिक,
भावनात्मक, और ऊर्जा कार्यों की छापों के विशाल भंडार से पैदा होती है। 

👉आप जिस
तरह की गंध छोड़ते हैं, उसी के अनुसार आप कुछ खास जीवन पस्थितियों को अपनी
ओर आकर्षित करते हैं ।

👉एक फूल के बारे में सोचिए। फूल में एक खास तरह की वासना होती है।

👉 उसकी
यही सुगंध कुछ खास तरह के जीवन को अपनी ओर खींचती है। वह चल नहीं सकता
और उसकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन फूल अपनी सुगंध के कारण मंदिर के गर्भागृह
में पूजा के लिए चुना जाता है।

👉 अपनी वासना के कारण ही, वह ऐसी जगह प्रवेश पा
जाता है, जहाँ बहुत कम इंसानों को जाने की इजाजत होती है |
👉इंसान के लिए भी यह इतना अलग नहीं है। यहाँ गंध शब्द का अर्थ
महक नहीं
है ।

 👉यह शब्द किसी प्रकार के मूल्यांकन से भी नहीं जुड़ा है। इसका सीधा-सा मतलब
है कि अगर आप एक खास तरह की वासना छोड़ते हैं, तो अस्तित्व यह सुनिश्चित
करेगा आप किसी खास समय पर किन्हीं खास जगहों पर जाएँ।

👉 अगर आप एक
दूसरी तरह की वासना छोड़ते हैं, तो अस्तित्व यह सुनिश्चित करेगा आप किन्हीं दूसरी
• जगहों पर जाएँ।

 👉तो कौन-सी चीज आपकी ओर आती है और कौन-सी आपसे दूर
जाती है, यह आपसे निकलने वाली गंध से तय होता है। आपकी वासना, निश्चित रूप
से, पूरी तरह से आपकी शेष स्मृति की किस्म पर या आपके कर्म पर निर्भर करती है।

👉यह सूक्ष्म तरीकों से काम करता है। आप भले ही इसके प्रति जागरूक न हों,
लेकिन आप जगे हुए और नींद में, दोनों ही अवस्थाओं में कर्म कर रहे होते हैं। 
विचार
👉का एक साधारण-सा पैटर्न आपसे खास तरीकों से काम करवा सकता है। 

👉उदाहरण
के लिए, अगर आप फिल्मों, या किसी खास फिल्म स्टार के बारे में सोचते रहते हैं.
तो काफी संभव है कि आपको किसी भीड़ में एक ऐसा व्यक्ति दिख जाए, जिसमें
वही जुनून हो। 

👉आप उन लोगों को देखने में चूक सकते हैं जिन्हें किताबें, मेडिटेशन,
या कुछ और पसंद है। अगर आप अपने सामने हजारों चेहरे देखते हैं, तो आपकी
वासना आपको किसी ऐसे व्यक्ति की ओर आकर्षित कर सकती है, जिसका रुझान
आपके जैसा है।

👉एक बार ऐसा हुआ।
किशोरावस्था में एक बार, मैंने एक विशाल कोबरा पकड़ा - बारह फुट लंबा
शानदार जीव।

👉 वह एक लोकल ट्यूब लाइट फैक्टरी में घुस गया था, और मैंने उसे
पकड़ लिया। इससे फैक्टरी के कर्मचारियों ने राहत की साँस ली। मैंने उसे एक बड़े
से शीशे के बर्तन में डालकर अपने बिस्तर के नीचे छुपा दिया। किसी तरह, एक दिन
वह बाहर निकल आया।

👉जब मेरे पिता ने मेरे कमरे से एक तेज फुफकार सुनी, तो उन्होंने घुटनों के बल
बैठकर पता लगाने की कोशिश की कि मामला क्या है। जब उन्होंने बिस्तर के नीचे
कोबरा देखा, तो वे बुरी तरह घबरा गए। वह 'कोबरा कोबरा' चिल्लाते हुए कमरे से
बाहर भागे।

 👉जब मैं वहाँ पहुँचा, तो घर पर हर कोई कुर्सियों और सोफों पर खड़ा था।

👉दूसरी ओर, मैं अपने साँप को बचाने के लिए कमरे की तरफ भागा, इस चिंता में कि
मेरे साथी को बाहर फेंक दिया जाएगा! मेरे माता-पिता की वासना ने साँप के प्रति
अरुचि पैदा की; मेरी वासना ने आकर्षण पैदा किया।

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बुधवार, 18 जून 2025

👉पाठक के लिए एक टिप्पणी👈

पाठक के लिए एक टिप्पणी

💯जैसा कि मैं अक्सर कहता हूँ, सद्गुरु शब्द का अर्थ है, एक अशिक्षित गुरुl 

एक
💯अशिक्षित गुरु शास्त्रों के संचित ज्ञान से नहीं, बल्कि पल-पल के आंतरिक ज्ञान से
बनता है। इसलिए, मैं प्रत्यक्ष अनुभव से आता हूँ, न कि सेकेंड हैंड ज्ञान से।

💯इसलिए कर्म के प्रति मेरा दृष्टिकोण किसी विद्वान का नहीं है, और न कभी रहा
है। 
💯जब मैं कर्म की बात करता हूँ, तो मैं किसी सिद्धांत को आधार नही बनाता। 
मैं
💯अपने बोध के आधार पर कहता हूँ। अवधारणा-जनित ज्ञान विद्वानों का तरीका है।
बोध-जनित ज्ञान एक योगी का तरीका है।

💯इस किताब का पहला भाग कर्म की जटिलता और उसके विविध आयामों को
समझाता है। इसमें विशुद्ध और कई बार चुनौतीपूर्ण अवधारणाओं की बात होती लग
सकती हैं।

 💯लेकिन मैं ज़ोर देकर यह कहना चाहता हूँ कि ये गूढ़ सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि
कर्म वाकई कैसे कार्य करता है, उसकी एक सीधी अंतर्दृष्टि है।
यह खंड प्यासों के लिए है। यह उनके लिए है जिन्होंने सालों से सवालों के प्रति
अपनी जिज्ञासा बनाए रखी, ऐसे सवाल जैसे: कर्म क्या है? कर्म कैसे इकट्ठा होता है ?

💯यह मशीनरी कैसे काम करती है? यह पूरा जटिल और विचित्र चक्र कब शुरू हुआ?

💯यह उन लोगों के लिए है, जो सिर्फ यूजर मैनुअल ही नहीं ढूँढ़ रहे, बल्कि कर्म के पहिए
की क्रिया-विधि की झलक भी पाना चाहते हैं।

💯यह खंड परीक्षण करता है कि यह पहिया कैसे अस्तित्व में आता है, और कैसे
💯रफ्तार पकड़ता है। यह चरण-दर-चरण आपको कर्म के विषय की गहराई में ले

💯जाता है—यह क्या है; यह कैसे इकट्ठा होता है; मानव व्यक्तित्व को आकार देने के
कई तरीके; हर व्यक्ति के अंदर स्मृति का अविश्वसनीय रूप से विशाल भंडार; इस

💯में इच्छा-शक्ति या इरादों की भूमिका; और किन सूक्ष्म तरीकों से कर्म हमसे चिपका
रहता है, भले ही हम खुद को उससे मुक्त कराना चाहें।
आध्यात्मिक साधक आमतौर पर अपने कर्मों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं,

 💯लेकिन
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कर्म हमारा दुश्मन नहीं हैl


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