💮स्मृति के रूप में कर्म💮
स्मृति के रूप में कर्म
जीवन के विरुद्ध सिर्फ एक ही अपराध होता है: यह विश्वास करना कि आप जीवन के अलावा कुछ और हैं।
स्मृति का विशाल भंडार
👍एक बार ऐसा हुआ...
🧘♀️एक दिन शंकरन पिल्लै अपनी बीवी से बहुत नाराज हो गए और घर से बाहर चले गए। पूरी रात सड़कों पर भटकने के बाद, वह नाश्ते के लिए एक रेस्तरां में पहुँचे। जब परोसने वाला उनकी मेज पर आया, तो वह बोले, 'मेरे लिए एक ठंडी, पतली कॉफी, ज्यादा नमक वाला सांभर और पत्थर की तरह सख्त इडली लेकर आओ।'
👍परोसने वाला हैरान रह गया, 'लेकिन सर, मैं आपको गर्मागर्म कड़क कॉफी, स्वादिष्ट सांभर और एकदम नर्म इडली परोस सकता हूँ।'
👍'मूर्ख कहीं के, तुम्हें क्या लगता है कि मैं यहाँ नाश्ते का मजा लेने आया हूँ?' शंकरन पिल्लै ने झुंझलाते हुए कहा, 'मुझे बस घर की याद आ रही है!'
👍अगर आपको एक बार किसी चीज की आदत लग जाए, चाहे वह सुखद हो या दुखद, अच्छी हो या बुरी, आप उसे छोड़ नहीं सकते, और फिर इस बात से फर्क नहीं पढ़ता कि वह क्या चीज है।
👍अगर इरादा या इच्छा कर्म को तय करती है, तो यह सवाल उठना लाजिमी है, कि आपकी इच्छा जागती कहाँ से है?
👍जैसा कि हमने देखा है, इसका संबंध आपकी अलग होने की पहचान से है। फिर यह पहचान कहाँ से उभरती है?स्मृति से।
👍आप यह मानते हैं कि आप एक व्यक्ति-विशेष हैं क्योंकि आपकी याद्दाश्त आपको बताती है कि आप एक व्यक्ति-विशेष हैं।
👍इसलिए शायद, कर्म को स्मृति के रूप में बताना ज्यादा सटीक और ज्यादा उपयोगी होगा।
👍जरा इसपर गौर कीजिए। आप खुद को जो कुछ भी मानते हैं, वह स्मृति का नतीजा है। जिसे आप 'मैं' कहते हैं, यह हर मायने में, आपके अतीत की ही एक उपज है।
👍इन पाँच इंद्रियों के जरिए आप जिन चीजों के संपर्क में आए हैं आपने जो भी देखा, सुना, सूँघा, चखा और छुआ वह आपकी याद्दाश्त में मौजूद है और आपके व्यक्तित्व पर असर डालता है। जागते हुए और सोते हुए आपने जो भी याद्दाश्त जमा की है, वह सब इस भंडार में है।
👍आप इसके प्रति चाहे जागरूक हों या न हो, आपके शरीर की हर कोशिका इसे याद रखती है और आपके जीवन का हर पल, उसी स्मृति से काम करता है। जीवन हर पल आपको आपके कर्म के बारे में बताता रहता है। समस्या यह है कि आप सिर्फ अपने विचारों को सुनते हैं या अपने पड़ोसियों को! अगर आप केवल जीवन प्रक्रिया की सुनते, तो किसी शिक्षा, किसी धर्मग्रंथ की जरूरत नहीं होती।
👍कर्म एक शोर बड़ा होता है। अगर आप इसे नहीं सुन सकते, तो ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अभी आपको बाहरी दुनिया का शोर सुनने की आदत है। लेकिन एक बार जब आप अपनी आँतरिकता को सुनना सीख जाते हैं, तो आप कर्म के शोर को एकदम स्पष्ट सुन सकते हैं। वह शोर इतना तेज है, कि आप उससे चूक नहीं सकते !
👍आपका शरीर उस भोजन का एक ढेर है, जिसे आपने समय के साथ शरीर के अंदर डाला है। आपका मन उन छापों और विचारों का एक ढेर है, जिनका आपने समय के साथ मंथन किया है और आत्मसात किया है। दोनों ही अतीत का सृजन हैं। और दोनों ही स्मृति के उत्पाद हैं। तो आप चाहे अपने शरीर को अपनी पहचान बनाएँ या अपने मन को, जिसे आप आपका अपना व्यक्तित्व मानते हैं वह केवल स्मृति का एक ढेर है। हर चीज जिसे आप मैं मानते हैं उसका सार-तत्व कर्म है।
👍अभी, अगर आप अपने घर से थोड़ा दूर चलते हैं, तो सैंकड़ों अलग-अलग तरह की गंध को आप अपने आस-पास महसूस करते हैं। जरूरी नहीं है कि आप इन सबके प्रति सचेत हों। यदि कोई जब बहुत तेज गंध आपको आती है सिर्फ तभी उसपर आपका ध्यान जाएगा। लेकिन आपके नथुने जिन सैंकड़ों किस्मों की गंध के संपर्क में आए हैं, वे वास्तव में आपकी स्मृति में दर्ज हो गई हैं।


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