👉पाठक के लिए एक टिप्पणी👈
पाठक के लिए एक टिप्पणी
💯जैसा कि मैं अक्सर कहता हूँ, सद्गुरु शब्द का अर्थ है, एक अशिक्षित गुरुl
एक
💯अशिक्षित गुरु शास्त्रों के संचित ज्ञान से नहीं, बल्कि पल-पल के आंतरिक ज्ञान से
बनता है। इसलिए, मैं प्रत्यक्ष अनुभव से आता हूँ, न कि सेकेंड हैंड ज्ञान से।
💯इसलिए कर्म के प्रति मेरा दृष्टिकोण किसी विद्वान का नहीं है, और न कभी रहा
है।
💯जब मैं कर्म की बात करता हूँ, तो मैं किसी सिद्धांत को आधार नही बनाता।
मैं
💯अपने बोध के आधार पर कहता हूँ। अवधारणा-जनित ज्ञान विद्वानों का तरीका है।
बोध-जनित ज्ञान एक योगी का तरीका है।
💯इस किताब का पहला भाग कर्म की जटिलता और उसके विविध आयामों को
समझाता है। इसमें विशुद्ध और कई बार चुनौतीपूर्ण अवधारणाओं की बात होती लग
सकती हैं।
💯लेकिन मैं ज़ोर देकर यह कहना चाहता हूँ कि ये गूढ़ सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि
कर्म वाकई कैसे कार्य करता है, उसकी एक सीधी अंतर्दृष्टि है।
यह खंड प्यासों के लिए है। यह उनके लिए है जिन्होंने सालों से सवालों के प्रति
अपनी जिज्ञासा बनाए रखी, ऐसे सवाल जैसे: कर्म क्या है? कर्म कैसे इकट्ठा होता है ?
💯यह मशीनरी कैसे काम करती है? यह पूरा जटिल और विचित्र चक्र कब शुरू हुआ?
💯यह उन लोगों के लिए है, जो सिर्फ यूजर मैनुअल ही नहीं ढूँढ़ रहे, बल्कि कर्म के पहिए
की क्रिया-विधि की झलक भी पाना चाहते हैं।
💯यह खंड परीक्षण करता है कि यह पहिया कैसे अस्तित्व में आता है, और कैसे
💯रफ्तार पकड़ता है। यह चरण-दर-चरण आपको कर्म के विषय की गहराई में ले
💯जाता है—यह क्या है; यह कैसे इकट्ठा होता है; मानव व्यक्तित्व को आकार देने के
कई तरीके; हर व्यक्ति के अंदर स्मृति का अविश्वसनीय रूप से विशाल भंडार; इस
💯में इच्छा-शक्ति या इरादों की भूमिका; और किन सूक्ष्म तरीकों से कर्म हमसे चिपका
रहता है, भले ही हम खुद को उससे मुक्त कराना चाहें।
आध्यात्मिक साधक आमतौर पर अपने कर्मों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं,
💯लेकिन
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कर्म हमारा दुश्मन नहीं हैl
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