आध्यात्मिक विचार शैली : ⭐🏋️🌰साधना - 2⭐👍🌰

रविवार, 3 अगस्त 2025

⭐🏋️🌰साधना - 2⭐👍🌰

साधना - 2

अगर आप स्व-संचालित होना चाहते हैं, तो सबसे पहले इसका इरादा पक्का कर लेना महत्वपूर्ण होता है। 

अपने इरादे को जितना हो सके, उतना सर्व-समावेशी बनाएँ। एक सरल संकल्प से शुरू कीजिए। दुनिया के लिए अपने भीतर माँ जैसी ममता रखिए। 

यानी सबको अपने की तरह देखना। ऐसा कोई नहीं है जो आपके कुल का हिस्सा नहीं है। 

जब आप सड़क पर चल रहे होते हैं, तो क्या आप हर किसी को उसी मधुर भावना से देखते हैं, 

जो आपके भीतर अपने बच्चे को स्कूल से घर आते देखकर आती है? यह इरादा ही आपको बेचैनी और नकारात्मकता से मुक्त कर सकता है और आप अपनी नियति खुद गढ़ सकते हैं।

अगर आप हर पल जागरूक हैं और समझते हैं कि इस धरती पर हर चीज और हर कोई आपका अपना है, तो आपको कोई कानून जानने की जरूरत नहीं है 

कि आपको क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए।

 आपने अपनी मौलिक पहचान बदल ली है। 

अब आपके कर्म की सीमाएँ टूट जाती हैं और आप असीमता की भावना का अनुभव करते हैं। 

समावेश और सहभागिता आपकी एक नई पहचान बन जाती है।

भारतीय पौराणिक कथाओं में मार्कंडेय की कहानी, अपना जीवन अपने हाथ में लेने के दृढ़ संकल्प की एक मिसाल है। उनकी जल्द मृत्यु की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन इस बहादुर युवक ने अपनी मृत्यु पर जीत हासिल की।

 हालाँकि उन्होंने अपनी मृत्यु पर काबू पाने के लिए कृपा माँगी, लेकिन उस कृपा के लिए उपलब्ध होना सीखना भी कर्म है। आध्यात्मिक होने का यही अर्थ है।

 इसका मतलब है कि अब आप जीवन और मृत्यु की प्रक्रिया को अपने हाथ में लेने को इच्छुक हैं। इसका मतलब है कि अब आप स्वयं से कहते हैं: 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे पूर्वज कौन थे, या मेरा कर्म तत्व क्या है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरा अतीत क्या रहा है।

 मैंने अपनी मुक्ति का, अपने जाने का रास्ता तय कर लिया है। मैंने ठान लिया है कि मैं अपनी मुक्ति की तरफ बढ़ रहा हूँ।'

वैसे भी जन्मकुंडली का मतलब संभावित बाधाओं से गुजरने का सिर्फ एक तरीका था।

 यह कभी भी ऐसा जीवन आलेख नहीं था, जिसका आँख बंद करके पालन किया जाए। 

वास्तव में, अगर आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं, तो सच्चे ज्योतिषी कभी भी आपके लिए भविष्यवाणी नहीं करेंगे।

 आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपनी नियति खुद बनाने को प्रतिबद्ध हैं।

 जब आप ऐसे एक रास्ते पर होते हैं, तो आप दरअसल दुनिया से यह कह रहे होते हैं, 'मैं हवा की दिशा में नहीं बहता। मैं स्व-संचालित हूँ।'

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