आध्यात्मिक विचार शैली : 💥स्मृति की परतें💥

रविवार, 3 अगस्त 2025

💥स्मृति की परतें💥



स्मृति की परतें

❤️‍🔥योग परंपरा में विभिन्न स्मृतियों में अंतर करने का एक विस्तृत तरीका है। यह स्मृति के आठ आयामों या 'परतों को अलग-अलग देखता है: तात्विक (एलेमेंटल), परमाणविक (एटॉमिक), विकास-मूलक (इवोल्यूशनरी), आनुवांशिक (जेनेटिक), कर्मगत (कार्मिक), संवेदी (सेंसरी), स्पष्ट (आर्टिकुलेट), और अस्पष्ट (इनआर्टिकुलेट)।

❤️‍🔥आठों को दरअसल मनुष्य के कर्म के रूप में देखा जा सकता है। पहली चार तरह की स्मृतियों में व्यक्तिगत इच्छा की कोई भूमिका नहीं होती। अगली चार वे हैं जिनमें व्यक्तिगत इच्छा की भूमिका होती है। दूसरे शब्दों में, पहली चार हमारे सामूहिक कर्म बनाती हैं; अगली चार हमारे व्यक्तिगत कर्म बनाती हैं।

❤️‍🔥चलिए स्मृति के पहले चार पहलुओं को देखते हैं, जिनमें निजी इच्छा कोई भूमिका नहीं निभातीः

❤️‍🔥तात्विक स्मृति : आपके सिस्टम का निर्माण करने वाले तत्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - आपको आकार देते हैं। वे सृष्टि की शुरुआत से ही स्मृतियों को अपने साथ रखे हुए हैं।

❤️‍🔥परमाणविक स्मृति-आपके शरीर को बनाने वाले परमाणुओं के बदलते पैटर्न- आपके सिस्टम को और आगे ढालते हैं।

❤️‍🔥विकास-मूलक स्मृति आपकी बायलॉजी को निखारती है: उदाहरण के लिए यह विकास-मूलक सॉफ्टवेयर है. जो आपको एक इंसान बनाता है, जानवर नहीं। चाहे आप डॉग-फूड खाएँ, तो भी आप इंसान ही रहेंगे! यह विकासगत कोड आपके डीएनए पर गहराई से अंकित है।

❤️‍🔥आपका शरीर वैसे भी क्या है? यह सिर्फ भोजन, पानी और हवा है. ये सभी आपको घरती ने दिया है। जिस पदार्थ को आप धरती कहते हैं और जिस पदार्थ को आप शरीर कहते हैं, वे अलग-अलग नहीं हैं

 ❤️‍🔥लेकिन स्मृतियों का एक जटिल मिश्रण उस पदार्थ को इस तरह से अलग-अलग करके देखता है कि वह पहचान में नहीं आता। वही मिट्टी भोजन बनाती है और जब आप उसे खाते हैं, तो वह आपका पोषण करती है, और आपको एक पौधा या जानवर बनाने के बजाय इंसान बनाती है। इस जीवन में मनुष्य होने का सौभाग्य मुख्य रूप से विकास-मूलक स्मृति के कारण है।

❤️‍🔥पानी, हवा, और भोजन के यही बाहरी तत्व हर इंसान के अंदर अलग-अलग बर्ताव करते हैं। जैसे ही आप उन्हें अंदर डालते हैं, वे बहुत अलग तरीके से काम करना शुरु कर देते हैं।

 ❤️‍🔥बोतल के अंदर मौजूद पानी, आपके अंदर जाते ही बहुत अलग होता है। बाहर मौजूद फल आपके अंदर जाकर बहुत अलग तरह से काम करता है। यह रूपांतरण मुख्य रूप से आपके भीतर परमाणविक, तात्विक और विकास-मूलक स्मृति की परस्पर क्रिया के कारण होता है।

❤️‍🔥स्मृति के कुछ खास आयाम हम सभी में हैं: तात्विक, परमाणविक और विकास-मूलक। लेकिन, हमारे आनुवांशिक और व्यक्तिगत कर्म अलग होते हैं। आनुवांशिक स्मृति परिवार से आती है, जो हमारे कई एक जैसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को तय करती है।

❤️‍🔥अब बात करते हैं उन चार स्मृतियों की जो हमारा सामूहिक कर्म बनाती हैं।

❤️‍🔥पहली है, हमारी निजी कर्म स्मृति: हमारे कर्मों की वे छाप जिसने समय के साथ हमें आकार दिया और अलग-अलग तरह का इंसान बनाया। हर व्यक्ति की अपनी विचित्नता और विशेषता, पसंद और नापसंद, आदतें और प्राथमिकताएँ होती हैं। 

❤️‍🔥हर इंसान में निजी कर्म-स्मृति का एक विशाल भंडार होता है। इसी कारण कोई भी दो मनुष्य, यहाँ तक कि जुड़वाँ भी, कभी पूरी तरह एक जैसे नहीं होते।

❤️‍🔥मौजूदा भौतिक और साँस्कृतिक वातावरण भी हमारे सिस्टम पर असर डालता है, जो तय करता है कि हमारा शरीर और मन दुनिया के प्रति कैसे रेस्पॉन्ड करेंगे और ये संवेदी स्मृति (सेंसरी मेमोरी) बनाते हैं।

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