आध्यात्मिक विचार शैली : 💕भाग्य और ज्योतिष पर तर्क-वितर्क💕

रविवार, 3 अगस्त 2025

💕भाग्य और ज्योतिष पर तर्क-वितर्क💕



भाग्य और ज्योतिष पर तर्क-वितर्क

😭तो भाग्य, नियति, किस्मत के बारे में आप क्या कहेंगे? क्या ये हमारे जीवन को तय करने में कोई भूमिका निभाते हैं? क्या कर्म की हमारी समझ के लिए ये शब्द महत्वपूर्ण है? क्या ये शब्द कर्म के बारे में समझाते हैं?

😭आइए कुछ भ्रांतिओं को पहले तोड़ते हैं। जिसे आप भाग्य कहते हैं, वह सिर्फ एक जीवन-स्थिति है जिसे आपने अनजाने में खुद के लिए बनाया है। आपका भाग्य वह है जो आपने अनजाने में गढ़ा है। 

😭अगर आप सौ फीसदी सचेतन हो जाते हैं, तो आपकी नियति एक सचेतन रचना होगी। अगर आप अचेतन रहते हैं, तो आप अपनी दुर्दशा के लिए भाग्य और विधाता जैसे शब्दों का सहारा लेते हैं। यह इतना ही सरल है।

😭हमारे किए गए हर कार्य का एक परिणाम होता है। वह परिणाम चाहे आज फल दे या कल या दस साल बाद, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

😭 बात इतनी है कि वह हमेशा किसी-न-किसी रूप में फल देता है। तो, कई साल पहले आपने अनजाने में कुछ काम किए थे, उनका परिणाम आज सामने आ सकता है। 

😭आप इसे भाग्य कह सकते हैं। लेकिन आप इसे अपना कर्म, अपनी जिम्मेदारी भी कह सकते हैं।

😭अगर अभी आपको हाइपरटेंशन बीमारी का पता चला है, तो आप सोच सकते हैं, 'ओह, मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? मैं ही क्यों? मेरा पड़ोसी क्यों नहीं?' अधिकांश लोग यह स्वीकार नहीं करते कि उन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष अपना आपा खोते हुए बिताए हैं। 

😭आधुनिक समाज में, दिन में पाँच बार गुस्सा करना बिलकुल स्वाभाविक माना जाता है! लोग हमेशा ऐसे कारण ढूँढ़ लेते हैं जो पूरी तरह से उचित लगते हैं।

 😭लेकिन सालों तक हर दिन ऐसा करने के बाद, अगर इतने सारे लोगों को उच्च रक्तचाप कि समस्या हो जाती है तो इसमें हैरानी कि क्या बात है? अपनी धरती को प्रदूषित करने और जीवन शैली को बदलने से इन्कार करने के सालों बाद, क्या
या कर दिया करने में
                          यही है।

😭यह कोई आश्चर्य की बात है कि आज हमारी दुनिया में इतनी सारी बीमारियाँ फैली हुई है? क्या हम इसके लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार नहीं है? सच्चाई यह है कि लोग अपना जीवन खुद बनाते हैं और समाज अपने विनाश की कहानी खुद लिखता है। 

😭लेकिन उसके बाद हम भगवान या नियति को दोष देने की कोशिश करते हैं। यह सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन यह जीवन जीने का एक मूर्खतापूर्ण और अपरिपक्क तरीका है।

😭चूँकि भाग्य आपका अचेतन सृजन है, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपके जीवन का हर पहलू चेतनापूर्वक घटित हो। 

😭वरना आपको इसका पता भी नहीं चलेगा कि आप अपने जीवन में जहर घोल रहे हैं और खुद को क्या नुकसान पहुँचा रहे हैं।

😭यह हमें इससे जुड़े एक सवाल पर ले आता है अगर हम अपना जीवन-क्रम खुद तय करते हैं, तो फिर ज्योतिष इसमें कहाँ आता है? उन सभी लोगों का क्या, जिनके भविष्य के बारे में आश्चर्यजनक रूप से सटीक भविष्यवाणियाँ की गई हैं?

😭 जन्मपत्नियों या 'हॉरर-स्कोप' की, जैसा कि मैं उन्हें कहता हूँ, इतनी अहमियत क्यों है कि तमाम लोग उनके मुताबिक अपना जीवन जीते हैं? अगर भाग्य बताने का काम इतनी सदियों से चला आ रहा है, तो उसमें थोड़ी सच्चाई तो होगी?

😭अब, ज्योतिष एक व्यक्ति के जीवन में बस कुछ खास संभावनाओं और रूपरेखाओं को बताने का एक तरीका है। अगर मैं आपको देखता हूँ, तो चूँकि आपके कर्म की दिशा मुझे तुरंत स्पष्ट हो जाती है, तो मैं कह पाता हूँ, 'ठीक है, आपकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को देखते हुए आपका जीवन इस दिशा में बढ़ेगा।' 

😭इसमें कुछ भी गहन नहीं है। ज्योतिष आपके जीवन के लिए बस एक संभावित रूपरेखा है, जो आपकी प्रवृत्तियों और विरासत में मिले लक्षणों को ध्यान में रखती है।

😭लेकिन इस स्थिति पर विचार कीजिए। एक हजार साल पहले, अगर आप एक नाविक होते और हवाएँ पूरब की तरफ चल रही होतीं, तो आप पूरब की तरफ जाते।

 😭भले ही आप अमेरिका जाना चाहते, लेकिन आप जापान पहुँच जाते। ऐसा होना तय था। हवाएँ आपकी मंजिल तय करती थीं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हवाएँ चाहे जिधर से भी बहें, हम आज सुनिश्चित दिशा की तरफ ही जाते हैं! हम अपना जीवन खुद चलाते हैं।

 😭हम हवाओं को खुद को इधर या उधर नहीं धकेलने देते या दिशा तय करने नहीं देते। इसी तरह, जीवन प्रक्रिया में, अगर आप अपनी दिशा खुद तय करते हैं, तो हम कहते हैं कि आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। 

😭अगर आप अपनी संचित प्रवृत्तियों, अपनी आदतों और अपने पूर्वाग्रहों से यहाँ-वहाँ धकेले जाते हैं, तब आप अपने 'हॉरर-स्कोप' की दया पर निर्भर होते हैं!

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